Gaban
  • Published:
    Apr-2015
  • Formats:
    Print / eBook
  • Main Genre:
    General Fiction
  • Pages:
    382
  • Purchase:
  • Share:
आप इस पुस्तक को पढ़ "र सुन सकते है,।
-------------------------------------

बरसात के दिन है,, सावन का महीना । आकाश मे, सुनहरी घटाएँ छाई हुई है, । रह - रहकर रिमझिम वर्षा होने ल -- ती है । ...भी तीसरा पहर है ; पर ऐसा माल,म हो, रहा है, शाम हो -- यी । आमो, के बा -- ़ मे, झ,ला पड़ा हुआ है । लड़कियाँ भी झ,ल रही, है, "र उनकी माताएँ भी । दो-चार झ,ल रही, है,, दो चार झुला रही है, । कोई कजली -- ाने ल -- ती है, कोई बारहमासा । इस ऋतु मे, महिला", की बाल-स्मृतियाँ भी जा -- उठती है, । ये फुहारे, मानो चि,ता", को ह्रदय से धो डालती है, । मानो मुरझाए हुए मन को भी हरा कर देती है, । सबके दिल उम, -- ो, से भरे हुए है, । घानी साडियो, ने प्रकृति की हरियाली से नाता जोड़ा है ।

इसी समय एक बिसाती आकर झ,ले के पास -- डा हो -- या। उसे दे -- ते ही झ,ला ब,द हो -- या। छोटी -बडी सबो, ने आकर उसे घेर लिया। बिसाती ने ...पना स,द,क -- ोला "र चमकती -दमकती चीजे, निकालकर दि -- ाने ल -- ा। कच्चे मोतियो, के -- हने थे, कच्चे लैस "र -- ोटे, र, -- ीन मोजे, -- ,बस,रत -- ुडिया, "र -- ुडियो, के -- हने, बच्चो, के लट्ट, "र झुनझुने। किसी ने कोई चीज ली, किसी ने कोई चीज। एक बडी-बडी आ, -- ो, वाली बालिका ने वह चीज पस,द की, जो उन चमकती हुई चीजो, मे, सबसे सु,दर थी। वह -- िरोजी र, -- का एक चन्द्रहार था। मा, से बोली--...म्मा,, मै, यह हार ल,, -- ी।

मा, ने बिसाती से प,छा--बाबा, यह हार कितने का है - बिसाती ने हार को र,माल से पो,छते हुए कहा- -- रीद तो बीस आने की है, मालकिन जो चाहे, दे दे,।

माता ने कहा-यह तो बडा मह, -- ा है। चार दिन मे, इसकी चमक-दमक जाती रहे -- ी।

बिसाती ने मार्मिक भाव से सिर हिलाकर कहा--बह,जी, चार दिन मे, तो बिटिया को ...सली चन्द्रहार मिल जाए -- ा! माता के ह्रदय पर इन सह्रदयता से भरे हुए शब्दो, ने चोट की। हार ले लिया -- या।

बालिका के आन,द की सीमा न थी। शायद हीरो, के हार से भी उसे इतना आन,द न होता। उसे पहनकर वह सारे -- ा,व मे, नाचती -- िरी। उसके पास जो बाल-स,पत्ति थी, उसमे, सबसे म,ल्यवान, सबसे प्रिय यही बिल्लौर का हार था। लडकी का नाम जालपा था, माता का मानकी।

महाशय दीनदयाल प्रया -- के छोटे - से -- ा,व मे, रहते थे। वह किसान न थे पर -- ेती करते थे। वह जमी,दार न थे पर जमी,दारी करते थे। थानेदार न थे पर थानेदारी करते थे। वह थे जमी,दार के मु -- ्तार। -- ा,व पर उन्ही, की धाक थी। उनके पास चार चपरासी थे, एक घोडा, कई -- ाए,- - भै,से,। वेतन कुल पा,च र,पये पाते थे, जो उनके त,बाक, के -- र्च को भी काफी न होता था। उनकी आय के "र कौन से मार् -- थे, यह कौन जानता है। जालपा उन्ही, की लडकी थी। पहले उसके तीन भाई "र थे, पर इस समय वह ...केली थी। उससे कोई प,छता--तेरे भाई क्या हुए, तो वह बडी सरलता से कहती--बडी द,र -- ेलने -- ए है,। कहते है,, मु -- ्तार साहब ने एक -- रीब आदमी को इतना पिटवाया था कि वह मर -- या था। उसके तीन वर्ष के ...,दर तीनो, लङके जाते रहे। तब से बेचारे बहुत स,भलकर चलते थे। फ,,क - फ,,ककर पा,व र -- ते, द,ध के जले थे, छाछ भी फ,,क - फ,,ककर पीते थे। माता "र पिता के जीवन मे, "र क्या ...वल,ब? दीनदयाल जब कभी प्रया -- जाते, तो जालपा के लिए कोई न कोई आभ,षण जर,र लाते। उनकी व्यावहारिक बुद्धि मे, यह विचार ही न आता था कि जालपा किसी "र चीज से ...धिक प्रसन्न हो सकती है। -- ुडिया, "र -- िलौने वह व्यर्थ समझते थे, इसलिए जालपा आभ,षणो, से ही -- ेलती थी। यही उसके -- िलौने थे। वह बिल्लौर का हार, जो उसने बिसाती से लिया था, ...ब उसका सबसे प्यारा -- िलौना था। ...सली हार की ...भिलाषा ...भी उसके मन मे, उदय ही नही, हुई थी। -- ा,व मे, कोई उत्सव होता, या कोई त्योहार पडता, तो वह उसी हार को पहनती। कोई द,सरा -- हना उसकी आ, -- ो, मे, ज,चता ही न था। एक दिन दीनदयाल लौटे, तो मानकी के लिए एक चन्द्रहार लाए। मानकी को यह साके बहुत दिनो, से थी। यह हार पाकर वह मु -- ्ध हो -- ई। जालपा को ...ब ...पना हार ...च्छा न ल -- ता, पिता से बोली--बाब,जी, मुझे भी ऐसा ही हार ला दीजिए।
Click on any of the links above to see more books like this one.



EDITIONS
Sign in to see more editions
    • First Edition
    • Apr-2015
    • Createspace
    • Paperback
    • ISBN: 1511829370
    • ISBN13: 9781511829373
    •  
    • May-2011
    • cedar Books
    • eBook
    • ISBN: 8122315496
    • ISBN13: 9788122315493
    •  
    • Jan-2014
    • Rajpal and Sons
    • eBook (Kindle)
    •  
    • Feb-2014
    • Sai ePublications
    • eBook (Kindle)
    •  
    • Oct-2016
    • Prabhat Prakashan
    • eBook (Kindle)
    •  
    • Dec-2016
    • Sai ePublications & Sai Shop
    • eBook
    • ISBN: 1329908473
    • ISBN13: 9781329908475



View the Complete Premchand Book List